जिम्मेदारी

हर सुबह नहीं ख्वाहिशों और अरमानों की

पोटली बांध के घर से निकलता हूं

कि बिना पूरा किए वापस नहीं लौटूंगा ,पर

हर शाम रास्ते में घर की ज़िम्मेदारियां आ जाती हैं

और मेरे ख्वाहिशों और अरमानों की पोटलियों

का गुच्छा वहीं हर शाम बिखर जाता है ।

Rajan Pandey Dev

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